“बसेरा-प्रदर्शित 1981”-पति पत्नी के रिश्ते पर आधारित पसंदीदा फिल्म
बसेरा – प्रदर्शित 1981
फिल्म उपन्यासकार – लीला फ़नसलकर के मराठी उपन्यास पर आधारित है
लेखक – जी. आर. कामत और गुलज़ार
निर्माता – रमेश बहल – (Rose Movies)
निर्देशक – रमेश तलवार
गीतकार – गुलज़ार
संगीतकार – राहुल देव बर्मन
सिनेमेटोग्राफर (छायाकार) – पीटर परेरा
एडिटर – नंद कुमार
इस फिल्म में पति पत्नी के रिश्ते में प्रेम, समर्पण, दुविधा, करुणा, त्याग और जवाबदारी सारे पहलू हैं.
रेखा और शशि कपूर एक खुशहाल शादीशुदा अधेड़ उम्र के जोड़े हैं, जो पुणे के एक समृद्ध पड़ोस में रहते हैं। उनके दो बेटे हैं, राज किरण और मास्टर विकास. राजकिरण को पूनम ढिल्लो से प्रेम है, पूनम ढिल्लो मेडिकल कॉलेज में पढ़ती हैं और हॉस्टल में रहती हैं. रेखा और शशि कपूर इस प्रेम के बारे में जानते हैं और दोनों की सगाई कर देते हैं. पूनम ढिल्लो को पता है कि रेखा शशि कपूर की दूसरी पत्नी है और राज किरण की मां राखी है, जो मेंटल अस्पताल में 14 सालों से कोमा में हैं. राखी, रेखा की बड़ी बहन है. राखी शशि कपूर की पहली पत्नी है, और राज किरण की सगी मां है.
रेखा अपनी शादी के कुछ दिनों बाद ही अपने पति को रोड एक्सीडेंट में खो देती है. विधवा अवस्था में अपनी छोटी बहन को देख राखी को सदमा लगता है और राखी सीढ़ियों से गिरकर अपना मेंटल बैलेंस खो देती है.
राखी पिछले 14 साल से मुंबई के एक मानसिक अस्पताल में दाखिल है और उसका इलाज चल रहा है. जिस समय रेखा के पति का देहांत हुआ था, उन दिनों राखी का बेटा छोटा सा बच्चा था. डॉक्टर को राखी के ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं दिखती है, ए.के हंगल (राखी और रेखा के पिता) रेखा और शशि कपूर का ब्याह करा देते हैं. राज किरण रेखा को ही अपनी मां मानता है.
रेखा और शशि कपूर का दूसरा बेटा (मास्टर विकास) राज किरण से उम्र में बहुत छोटा है.
फिल्मों में अक्सर देखा गया है की फिर से चोट लगने या गिरने पर यादाश्त वापस आ जाती है. इस फिल्म में भी ऐसा ही होता है सर पर चोट लगने के कारण राखी बेहोश हो जाती है और उसकी यादाश्त वापस लौट आती है.
डॉक्टर राखी को बताते हैं की वो 14 साल की गहरी नींद से जागी हैं, लेकिन राखी को ये नहीं बताते हैं कि शशि कपूर ने उनकी ही बहन रेखा से ब्याह किया है. राखी को तो अपना पुराना समय याद है कि शशि कपूर उनके पति हैं और उनका छोटा बच्चा है. राखी जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहती हैं.
डॉक्टर शशि कपूर और रेखा को फ़ोन करके राखी के ठीक होने वाली परिस्थिति की सूचना देते हैं. और घर की हर एक चीज़ को 14 साल पहले की तरह बताने और बनाने को कहते हैं, डॉक्टर को डर है की घर के नए माहोल को देखने से और रेखा को शशि कपूर की पत्नी की तरह देखने से राखी को फिर से दिमागी झटका लग सकता है.
रेखा डॉक्टर के कहे अनुसार 14 साल पहले की तरह दिखने के लिए सब कुछ व्यवस्थित करती है, खुद को विधवा की तरह बनाती है, और अपने छोटे बेटे मास्टर विकास को पूनम ढिल्लो के साथ उसके हॉस्टल में रहने के लिए भेज देती है. राखी घर आती है, राखी को स्वस्थ देखकर रेखा खुश होती है, शशि कपूर भी खुश होता है, पर रेखा को विधवा के वेश में देखकर दुखी भी होता है.
किन्तु सच्चाई ज़्यादा समय तक छिपी नहीं रहती है, जब रेखा और शशि कपूर का छोटा बेटा पूनम ढिल्लो के हॉस्टल के कमरे से भाग जाता है और राखी को सच्चाई का पता चलता है। हैरान, राखी होश खो देती है और और दीवाना वर्ताव करने लगती है. शशि कपूर और रेखा राखी को फिर से मानसिक अस्पताल में दाखिल करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
पूनम ढिल्लो मानसिक विषय पर पढ़ाई कर रही है, जब वो राखी को अकेले में शांत करने की कोशिश करती है, तब पूनम ढिल्लो को पता चलता है कि राखी पागल होने का नाटक कर रही है, राखी को शशि कपूर और रेखा के सुखी परिवार को बिगाड़ना नहीं है. राखी पूनम ढिल्लो से इस बात को गुप्त रखते का वचन लेती है.
गीत –
“जहां पे सवेरा हो बसेरा वहीं है” लता मंगेशकर
(कलाकार – शशि कपूर राखी और बाल कलाकार)
“जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें” लता मंगेशकर
(कलाकार – रेखा, शशि कपूर और राखी)
” साँवरे सुनाओ बांसुरी” लता मंगेशकर
(कलाकार – पूनम ढिल्लो, राज किरण, शशि कपूर, रेखा, मास्टर विकास और अन्य)
“तुम्हें छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं” किशोर कुमार, आशा भोंसले
(कलाकार – पूनम ढिल्लो और राज किरण)
“चुप चाप, चुप चाप” आशा भोंसले
(कलाकार – पूनम ढिल्लो मास्टर विकास और अन्य)
“आउंगी एक दिन, आज जाऊं” आशा भोंसले
(कलाकार – रेखा, शशि कपूर और राखी)
29वें फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन
सर्वश्रेष्ठ फिल्म – Rose Movies
बेस्ट डायरेक्टर – रमेश तलवार
बेस्ट अभिनेत्री – राखी
बेस्ट गीतकार – गुलज़ार – “जहां पे सवेरा हो बसेरा वहीं है”
बेस्ट कथा – लीला फ़नसलकर
आशा है फिल्म की समीक्षा पाठकों को भाएगी
(Image: Google Images)