Acclaimed Bollywood Movies

Acclaimed Hindi Film-Waqt (Released 1965)

फिल्म – वक़्त (प्रदर्शित 1965)

निर्माता – बी आर चोपड़ा

निर्देशक – यश चोपड़ा

लेखक कथा – अख्तर मिर्ज़ा

संवाद – अख्तर उल रहमान

छायाकार – धरम चोपड़ा

एडिटर – प्राण मेहरा

गीतकार – साहिर लुधयानवी

संगीतकार – रवि

कलाकार –

बलराज साहनी, राज कुमार,  सुनील दत्त,  शशि कपूर, साधना, शर्मीला टैगोर, रेहमान, मदन पुरी, मनमोहन कृष्ण, सुमति गुप्ते, सुरिन्दर नाथ, अचला सचदेव, लीला चिटनिस, जीवन, शशिकला, जगदीश राज, मोतीलाल, मुबारक, बद्री प्रसाद, एरिका लाल, और अन्य

गीत –

1. ऐ मेरी ज़ोहरा ज़बीं, तुझे मालूम नहीं,

तू अभी तक है हसीं, और मैं जवां,

तुझ पे कुर्बान मेरी जान मेरी जान,

गायक कलाकार – मन्ना डे

कलाकार – बलराज साहनी, अचला सचदेव और अन्य

2. वक़्त से दिन और रात, वक़्त से कल और आज,

वक़्त की हर शै गुलाम, वक़्त का हर शै पे राज,

गायक कलाकार – मोहम्मद रफ़ी

कलाकार – बलराज साहनी और अन्य

3. कौन आया की निगाहों में चमक जाग उठी,

दिल के सोए हुए तारों में खनक जाग उठी,

कौन आया,

गायक कलाकार – आशा भोंसले

कलाकार – साधना और राज कुमार

4. चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है,

आँखों में सुरूर आ जाता है,

जब तुम मुझे अपना कहते हो,

अपने पे गुरूर आ जाता है

गायक कलाकार – आशा भोंसले

कलाकार – साधना, सुनील दत्त, राज कुमार

शर्मिला टैगोर, शशि कपूर, और अन्य

5. आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू,

जो भी है, बस यही इक पल है,

गायक कलाकार – आशा भोंसले

कलाकार – एरिका लाल, साधना, सुनील दत्त, राज कुमार

शशि कपूर, रहमान, मदन पुरी, शशिकला और अन्य

6. दिन हैं बहार के, तेरे मेरे इकरार के, 
दिल के सहारे आजा प्यार करें,

गायक कलाकार – महेंद्र कपूर और आशा भोसले और कोरस

कलाकार – शर्मिला टैगोर, शशि कपूर, और अन्य

7. मैंने इक ख्वाब सा देखा है,

गायक कलाकार – महेंद्र कपूर और आशा भोसले

कलाकार – सुनील दत्त और साधना

8. हम जब सिमट के आप की बाहों में आ गए,

लाखों हसीं ख्वाब निगाहों में आ गए,

हम जब सिमट के आप की बाहों में आ गए,

गायक कलाकार – महेंद्र कपूर और आशा भोसले

कलाकार – सुनील दत्त और साधना

कथा –

लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) एक अमीर व्यापारी हैं जो अपनी पत्नी लक्ष्मी (अचला सचदेव) और तीन छोटे बेटों के साथ रहते हैं, जिनका जन्म एक ही तारीख, एक ही महीने लेकिन एक-दूसरे से कुछ साल अलग हुआ था। उनके जन्मदिन पर, लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ घर पर जलसा रखते हैं. जलसे में उनकी मुलाक़ात एक मेहमान प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित उदय शंकर (बद्री प्रसाद) से होती है.  ज्योतिषी पंडित उदय शंकर (बद्री प्रसाद)  उन्हें सलाह देते हैं कि वे अपनी समृद्ध जीवन शैली पर गर्व न करें या भविष्य के बारे में आशावादी न हों और भविष्य के बारे में इतने निश्चिंत भी ना रहें, क्योंकि “समय” के कार्य अप्रत्याशित हैं। लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) उनकी सलाह को नज़रअंदाज़ करते हैं और  भी अमीर बनने की योजनाएँ बताने  लगते हैं। उस रात, जब वह लक्ष्मी (अचला सचदेव) के साथ अपनी भविष्य की योजनाओं पर चर्चा कर रहे होते हैं तब, अचानक भूकंप आता है और पूरा शहर टूट कर अस्त हो जाता है,  लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) बेहोश हो जाते हैं।

होश में आने के बाद, लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) को पता चलता है कि उनका घर नष्ट हो गया है और उनका परिवार कहाँ चला गया है पता नहीं चल रहा  है। सबसे बड़ा बेटा राजा (राज कुमार) एक अनाथालय में पहुँच जाता है, जबकि मंझला बेटा रवि (सुनील दत्त) एक अमीर जोड़े (खन्ना परिवार) को सड़क पर पड़ा हुआ मिलता है और वे उसे गोद ले लेते हैं और अपने बेटे की तरह पालते हैं। इन सब से कहीं दूर, सबसे छोटा बेटा विजय (शशि कपूर) अपनी मां लक्ष्मी (अचला सचदेव) के साथ है और दोनों गरीबी में रह रहे हैं।   लक्ष्मी (अचला सचदेव) को लगता है कि लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) भूकंप में गुज़र गए हैं।

लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) को बड़े बेटे राजा (राज कुमार) के अनाथ आश्रम में होने का पता चलता है, वे उसे मिलने अनाथ आश्रम आते हैं, जहाँ उन्हें पता चलता है कि प्रबंधक (जीवन) के बुरे व्यवहार के कारण राजा (राज कुमार) प्रबंधक को मौत के घाट उतार देता है, पुलिस उसे पकड़ लेती है, पर राजा (राज कुमार) भाग जाता है और बड़ा होकर चोर बन जाता है। चिन्नोय सेठ (रहमान) नामक अपराधी के लिए काम करता है।

राजा (राज कुमार) मीना मित्तल (साधना) नाम की एक खूबसूरत अमीर लड़की का महंगा हार चुरा लेता है, लेकिन यह जानकर कि यह उसका जन्मदिन का उपहार है, उसे वापस कर देता है। राजा (राज कुमार) मीना मित्तल (साधना) को चाहने लगता है, और उसे पाने के लिए अपराध छोड़ने का फैसला करता है। हालाँकि, हालात बदल जाते हैं,  जब रवि खन्ना (सुनील दत्त) नाम का एक  अमीर लड़का मीना मित्तल (साधना) के जीवन में प्रवेश करता है और उसे लुभाने का प्रयास करता है। मीना मित्तल (साधना) को रवि (सुनील दत्त) से प्यार हो जाता है। और परिवार के लोग दोनों की सगाई कर देते हैं। राजा (राज कुमार) को बहुत गुस्सा आता है और वो रवि (सुनील दत्त) का क़त्ल करने रात को उसके घर पहुँच जाता है। पर सोए हुए रवि (सुनील दत्त) के कमरे में उसकी बचपन की तस्वीर देख कर उसे पता चलता है की रवि (सुनील दत्त) उसका खोया हुआ छोटा भाई है। उसे अपने विचारों पर पछतावा होता है और वहां से वापस चला जाता है।

इस बीच, लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) अपने परिवार को ढूंढते रहते हैं और उन्हें पता चलता है कि उसकी लंबे समय से खोई हुई पत्नी लक्ष्मी (अचला सचदेव) दिल्ली में है। वे दिल्ली जाते हैं लेकिन उसे बताया जाता है कि उनका बेटा विजय(शशि कपूर) अपनी माँ को इलाज के लिए मुंबई ले गया है क्योंकि लक्ष्मी (अचला सचदेव) कैंसर हो गया है। लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) अपने परिवार की तलाश करने के लिए मुंबई पहुंचते हैं।

खन्ना परिवार की अपनी एक बेटी भी है, रेनू (शर्मीला टैगोर) जिसे कॉलेज में साथ पढ़ने वाले लडके विजय (शशि कपूर) से प्यार है। विजय (शशि कपूर) चिन्नोय सेठ (रहमान) नामक अपराधी का ड्राइवर है. रवि (सुनील दत्त) को अपनी बहन रेनू (शर्मीला टैगोर) का विजय (शशि कपूर) से मिलना पसंद नहीं है, और वो उसे रोकने की कोशिश करता है, तैश में आकार रेनू (शर्मिला टैगोर) के मुंह से निकल जाता है कि वो उसका सगा भाई नहीं है, वो तो गोद लिया हुआ बेटा है, इसलिए उसे कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है। ये सब सुनकर रवि (सुनील दत्त) को बहुत सदमा लगता है, और वो घर छोड़ कर चला जाता है। सच जानकार मीना मित्तल (साधना) के माता पिता रवि (सुनील दत्त) और मीना मित्तल (साधना) की सगाई तोड़ने का प्रयत्न करते हैं।

राजा (राज कुमार) को रवि की समस्या के बारे में पता चलता है और वह चिन्नोय सेठ (रहमान) द्वारा आयोजित एक पार्टी में उनके रिश्ते को प्रकट करने का फैसला करता है। पार्टी में चिन्नॉय सेठ (रहमान) का कर्मचारी बलबीर सिंह (मदन पुरी) नशे में मीना मित्तल (साधना) के साथ दुर्व्यवहार करता है और राजा उसके साथ झगड़ा करता है, जिससे पार्टी रद्द हो जाती है। उस रात बाद में, बलबीर (मदन पुरी) नशे की हालत में चिन्नॉय सेठ (रहमान) के साथ झगड़ा करने लगता है और आत्मरक्षा में, चिन्नोय सेठ (रहमान) बलबीर (मदन पुरी) पर चाकू से वार कर देता है। चिन्नोय सेठ (रहमान) अपने अपराध को छुपानेके लिए राजा (राज कुमार) को हत्या के आरोप में फंसाने का फैसला करता है। विजय (शशि कपूर), चिन्नॉय सेठ (रहमान) को बलबीर (मदन पुरी) की लाश को राजा (राज कुमार)  के कमरे तक घसीटते हुए देखता है, लेकिन उसकी माँ लक्ष्मी (अचला सचदेव) की सर्जरी के लिए चिन्नोय सेठ (रहमान) के पैसे देने के वादे की वजह से चुप हो जाता है।

राजा (राज कुमार) को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है. राजा (राज कुमार) रवि (सुनील दत्त) से एक वकील के रूप में अपना बचाव करने के लिए कहता है,  रवि (सुनील दत्त)  सहमत हो जाता है। कोर्ट केस की प्रक्रिया के दौरान, चिन्नॉय सेठ (रहमान) झूठ बोलता है कि विजय (शशि कपूर) ने उसे बलबीर (मदन पुरी)की हत्या के बारे में सूचित करने के लिए जगाया और उसने राजा (राज कुमार)  को लाश को कमरे की अलमारी में छिपाते हुए देखा है।

लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) को भी अदालत में बतौर गवाह पेश किया जाता है, क्योंकि राजा (राज कुमार) सडकों पर भागते हुए लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) से टकराया था।

कोर्ट केस में,  रवि (सुनील दत्त) के जिरह के दौरान चिन्नॉय सेठ (रहमान), अदालत  में सच्चाई उगल देता है और बलबीर (मदन पुरी) की हत्या के लिए दोषी ठहराया जाता है। विजय (शशि कपूर) अपने झूठे बयान को कबूल करता है और माँ के इलाज के लिए दिए जाने वाले पैसे को झूठी गवाही देने की वजह बताता है।

राजा (राज कुमार) निर्दोष साबित होता है और लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) रवि (सुनील दत्त)  को उसके केस जीतने की बधाई देते हैं। लक्ष्मी (अचला सचदेव) विजय(शशि कपूर) की ओर से राजा (राज कुमार) से माफी माँगने के लिए अदालत पहुँचती है। लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) उसे देखते हैं, और लक्ष्मी (अचला सचदेव) साथ एक भावनात्मक पुनर्मिलन होता है। वह विजय (शशि कपूर) को अपने सबसे छोटे बेटे के रूप में लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) से मिलाती है।

लाला केदारनाथ (बलराज साहनी)  लक्ष्मी (अचला सचदेव) और विजय(शशि कपूर) को बताते हैं कि उन्होंने अपने सबसे बड़े बेटे राजा (राज कुमार) को एक अनाथालय में खोज लिया था, लेकिन वह उनके पहुंचने से पहले ही वहां से भाग गया था। राजा (राज कुमार)  बात सुन लेता है और अपना परिचय उनके बड़े बेटे के रूप में देता है। राजा (राज कुमार)  लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) को बताता है की रवि (सुनील दत्त) उनका मंजला बेटा है, दोनों भावनात्मक रूप से लाला केदारनाथ (बलराज साहनी) के साथ लक्ष्मी (अचला सचदेव) और विजय (शशि कपूर) के साथ फिर से मिलते हैं।

फिल्म के लास्ट फ्रेम में रवि (सुनील दत्त) की शादी मीना मित्तल (साधना) से और विजय (शशि कपूर) की शादी रेनू (शर्मीला टैगोर) होती हुई बताते हैं और सभी राज़ी ख़ुशी रहते हैं।

13वां फिल्मफेयर समारोह – पुरस्कार

  • यश चोपड़ा ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • अभिनेता राजकुमार ने सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • अख्तर मिर्ज़ा ने सर्वश्रेष्ठ कथाकार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • अख़्तर उल ईमान ने सर्वश्रेष्ठ संवाद लिखने का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
  • छायाकार धरम चोपड़ा ने सर्वश्रेष्ठ छायाकार का (Colour) फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

फिल्म के सभी गीत बहुत ही उम्दा हैं और अभी भी गाये जाते हैं.  

“जिस किसी ने भी ये फिल्म नहीं देखी है, एक बार ज़रूर देखें”.

(Image: Google Images)

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