Acclaimed Hindi Film Saudagar-Released 1973
“राजश्री प्रोडक्शन्स के बैनर में बनी 1973 प्रदर्शित पसंदीदा फिल्म सौदागर ”
निर्माता – ताराचंद बड़जात्या
निर्देशक – सुधेन्दु रॉय
गीतकार और संगीतकार – रविन्द्र जैन
सिनेमेटोग्राफी – दिलीप रंजन मुखोपाध्याय
एडिटर – मुख़्तार अहमद
फिल्म नरेन्द्रनाथ मित्रा जी की बंगाली कथा “रस” पर आधारित है
कलाकार –
नूतन,
अमिताभ बच्चन,
पद्मा खन्ना,
त्रिलोक कपूर,
लीला मिश्रा
और अन्य
कथा –
अमिताभ बच्चन खजूर से बनाये हुए मौसमी गुड़ का छोटा मोटा व्यापारी है. ये व्यापार सिर्फ खजूर की उत्पति के मौसम में होता है और उस से साल भर का खर्चा चलता है अमिताभ बच्चन को पद्मा खन्ना से प्रेम है और पद्मा खन्ना से ब्याह रचाना चाहता है. अमिताभ बच्चन ब्याह का प्रस्ताव लेकर पद्मा खन्ना के पिता के पास जाता है, जो मेहर (दुल्हन मूल्य) मांगते है, जो अमिताभ बच्चन पास नहीं है।
नूतन विधवा है, जो अमिताभ बच्चन को बेचने के लिए गुड़ तैयार करके देती है. नूतन का बनाया हुआ गुड़ बहुत प्रसिद्ध है और लोग हमेशा अमिताभ बच्चन से गुड़ खरीदना पसंद करते हैं.
अमिताभ बच्चन पद्मा खन्ना को पाने के लिए बेताब है, उसके दिमाग में एक ख्याल कहें या योजना कहें ऐसा एक विचार आता है. अमिताभ बच्चन नूतन से शादी करने का फैसला करता है ताकि उसे नूतन को गुड़ बनाने के पैसे ना देने पड़ें, ये बचाए हुए पैसे वो मेहर की रकम देने के लिए जमा करना चाहता है. नूतन अमिताभ बच्चन के उद्देश्य से अनभिज्ञ, उसके ब्याह के प्रस्ताव से पहले तो विस्मित होती है, पर बाद में मान जाती है, मौसम के अंत में, अमिताभ बच्चन मेहर के लिए काफी रकम जमा कर लेता है और नूतन को तलाक दे देता है.
इस घटना से नूतन सदमे में है और समुदाय के लोग नाखुश हैं. अमिताभ बच्चन ब्याह का प्रस्ताव लेकर पद्मा खन्ना के पिता से मिलता है और फिर से पद्मा खन्ना का हाथ मांगता है। मेहर की रकम पाकर पद्मा खन्ना के पिता पद्मा खन्ना का ब्याह अमिताभ बच्चन से कर देते हैं.
नया नया प्रेम है जो गुड़ में उबाल आने जैसा है और गुड़ का मौसम आने तक सब ठीक ठाक है। पद्मा खन्ना को गुड़ बनाना नहीं आता है, इसलिए अमिताभ बच्चन का गुड़ बेचने का व्यापार बंद होने लगता है.
इस बीच, त्रिलोक कपूर जो एक मछली बेचने के व्यापारी हैं, नूतन से शादी करना चाहते हैं, त्रिलोक कपूर की पत्नी नहीं है, छोटे बच्चे हैं, जिन्हें सँभालने के लिए माँ चाहिए. त्रिलोक कपूर की ईमानदारी और शालीनता देखकर नूतन उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है और और त्रिलोक कपूर से ब्याह करने के बाद उनके परिवार के साथ खुश रहती है.
गुड़ का मौसम लगभग खत्म होने वाला है और अमिताभ बच्चन इस साल अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाया है, एक दिन पद्मा खन्ना की गलती की वजह से बचा हुआ गुड़ भी जल जाता है अमिताभ बच्चन को बहुत गुस्सा आता है और वो पद्मा खन्ना को पीटता है, अब उसे नूतन का खयाल आता है. अब उसके पास गुड़ बेचने के लिए नूतन से गुज़ारिश करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है कि नूतन कुछ गुड़ बना दे। वह खजूर के दो डिब्बे लेता है और पद्मा खन्ना को साथ लेकर जिस गाँव में नूतन अपने पति और बच्चों के साथ रहती है वहां उसके घर जाता है. और नूतन के पति के सामने नूतन से अनुरोध करता है कि वह उसे बेचने के लिए कुछ गुड़ बना दे और पद्मा खन्ना को सही गुड़ बनाना सिखा भी दे.
पहले तो अमिताभ बच्चन को देखकर नूतन को बहुत गुस्सा आता है लेकिन अमिताभ बच्चन और पद्मा खन्ना की स्थिति दयनीय है और अमिताभ बच्चन अप्रत्यक्ष रूप से उससे क्षमा माँगता है. नूतन पद्मा खन्ना को बाड़ के पीछे से सब कुछ सुनते हुए भी देखती है। जैसे ही दोनों महिलाओं की आंखें मिलती हैं, वे रोने लगती हैं और एक-दूसरे को प्यार से गले लगा लेती हैं। फिल्म इस दृश्य के साथ समाप्त होती है।
फिल्म में नूतन हर फ्रेम में छाई हुई है, दुःख, दर्द, प्रेम, समर्पण, विस्मय, और घृणा सभी भाव देखने को मिलते हैं. सौदागर अमिताभ बच्चन के सुपर स्टार होने से पहले संघर्ष के दिनों की फिल्म है. पद्मा खन्ना अपने किरदार में ठीक है, किसी फ़िल्मी मसिक में पढ़ा था, की मुमताज़ पद्मा खन्ना का रोल करने वाली थीं, पर ब्याह करके मुमताज़विदेश चली गयी थी.
फिल्म में 7 गीत हैं पर चार गीत ज़्यादा प्रसिद्ध हैं
- तेरा मेरा साथ रहे – नूतन और अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया है
- हर हसीं चीज़ का मैं तलबगार हूँ – अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया है
- क्यों लायो सइयां पान – पद्मा खन्ना और अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया है
- सजना है मुझे सजना के लिए – पद्मा खन्ना और अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया है
- हुस्न है या कोई क़यामत है
- दूर है किनारा
- मैं हूँ फूल बानो
फिल्म मुस्लिम समुदाय को ध्यान के रखकर बनायी गयी है.
पाठकों ने फिल्म देखी होगी, आशा है फिल्म के बारे में सही तरह से लिखा है, जो पाठकों को भाएगा.
(Image: Google Images)