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Zaroorat Hai Ik Shrimati Ki Video Song

संगीतकार मदन मोहन अपनी क्लासिकल शैली से पिरोए हुए संजीदा गीतों के लिए जाने जाते हैं,

किन्तु मदन मोहन जी को जब भी कभी हलके फुल्के गीतों का संगीत संजोने का मौका मिला,

तो उन्होंने खूब हल्ला मचाया.

जो गीत लिखा है वो सभी पाठकों को पसन्द आयेगा, ये मेरा विश्वास है.

किशोर कुमार जी ने अपनी विशेष शैली में इसे बखूबी गाया है.

गीत – ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

https://youtu.be/1zmb_8F4HuE

फिल्ममन मौजी (प्रदर्शित 1962)   

गीतकार – राजेंद्र कृष्ण

संगीतकार – मदन मोहन

कलाकार – किशोर कुमार और साधना

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े,

हसीं हज़ारों भी हों खड़े, मगर उसी पर नज़र पड़े,

वो ज़ुल्फ़ गालों पे खेलती, के जैसे दिन रात से लड़े,

अदाओं में बहार हो, निगाहों पे खुमार हो,

कबूल मेरा प्यार हो तो क्या बात है,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

झटक के गेसू जहाँ चले, तो साथ में आसमाँ चले,

झटक के गेसू जहाँ चले, तो साथ में आसमाँ चले,

लिपट के कितने भी पाँव से, ये पूछते हो कहाँ चले,

प्यार से जो काम ले, हंस के सलाम ले,

वो हाथ मेरा थाम ले तो क्या बात है,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इत्तर में साँसें बसी बसी, वो मस्तियों में रसी रसी,

ज़रा सी पलकें झुकी झुकी, भंवें घनेरी कसी कसी,

फूलों में गुलाब हो, वो खुद अपना जवाब हो,

वो प्यार की किताब हो तो क्या बात है,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

इक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है,

हाँ हाँ श्रीमती की, हो हो कलावती की,

सेवा करे जी पति की,

ज़रुरत है, ज़रुरत है ज़रुरत है, सख्त ज़रुरत है.

(Image: Google Images)

(Video courtesy YouTube)

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