Acclaimed Hindi Film Khatta Meetha (Released 1978)

फिल्म – खट्टा मीठा (प्रदर्शित 1978)   

निर्माता – गुल आनंद और रोमू सिप्पी

निर्देशक – बासु चटर्जी

पटकथा और संवाद – बासु चटर्जी

सिनेमेटोग्राफर – ए. के. बीर

एडिटर – सुभाष गुप्ता

गीतकार – गुलज़ार

संगीतकार राजेश रोशन

कलाकार –

अशोक कुमार

पर्ल पदमसी

प्रदीप कुमार

डेविड

रूबी मेयर

पीलू वाडिया

देवेन वर्मा

राकेश रोशन

बिंदिया गोस्वामी

प्रीती गांगुली

विक्रम साहू

रविराज,

देवेंद्र खंडेलवाल

रणजीत चौधरी

मास्टर राजू

अमिताभ बच्चन (एक गीत में मेहमान कलाकार)

कथा –

अशोक कुमार एक पारसी विधुर हैं जो नौकरी से रिटायर होने वाले हैं, वे अपने चार बेटों (रविराज, देवेंद्र खंडेलवाल, रणजीत चौधरी और मास्टर राजू) के साथ एक छोटे से घर में रहते हैं. अशोक कुमार के चारों बेटे बड़े हैं और सभी का स्वभाव जुदा जुदा है, अशोक कुमार को ये महसूस होता है कि उनके घर और चारों बेटों की सही देखभाल के लिए किसी स्त्री की आवश्यकता है.

अशोक कुमार ये बात अपने साथी डेविड को बताते हैं, डेविड अशोक कुमार को पुनर्विवाह करने की सलाह देते हैं, कि नयी माँ घर भी सम्भालेगी और चारों बेटों का ख्याल भी रखेगी. बहुत आनाकानी करने के बाद अशोक कुमार पुनर्विवाह करने का फैसला करते हैं.

डेविड अशोक कुमार को एक पारसी विधवा पर्ल पदमसी से मिलवाते हैं, पर्ल पदमसी के तीन बच्चे हैं एक बेटी और दो बेटे (प्रीती गांगुली राकेश रोशन, विक्रम साहू). पर्ल पदमसी डेविड की पत्नी रूबी मेयर की सहेली है. पहली मुलाकात में अशोक कुमार और पर्ल पदमसी दोनों एक दूसरे में अपनापन महसूस करते हैं, पर लोग क्या कहेंगे, 4 + 3 टोटल सात बच्चे क्या सोचेंगे. पर संजीदा दोस्त डेविड और और डेविड की पत्नी रूबी मेयर दोनों को समझाते हैं. पर्ल पदमसी के बच्चे पढ़ रहे हैं और बेटी का विवाह भी करना है. जिसके लिए पूँजी की कमी है, पर पर्ल पदमसी का घर बड़ा है, जिसमें दो परिवार एक साथ रह सकते हैं.

इस ब्याह की घोषणा दोनों के बच्चों पर भारी पड़ती है, हर बच्चे की अलग अलग प्रतिक्रिया (रिएक्शन) है.

कैसे दो परिवार एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना सीखते हैं और अपनी खुद की और परिवार के अन्य सदस्यों की समस्याओं का समाधान करते हैं, ये कहानी का कथानक है, जो बेहद खूबसूरत है.

फिल्म में प्रदीप कुमार भी हैं जिनकी बेटी बिंदिया गोस्वामी है जो पर्ल पदमसी के बेटे राकेश रोशन से प्यार करती है, और शादी करना चाहती है और प्रदीप कुमार इसके खिलाफ है और परिवार के खिलाफ बुरे मनसूबे रचते हैं.

फिल्म में देवेन वर्मा का बहुत ही सही रोल है, देवेन वर्मा का ब्याह पर्ल पदमसी की बेटी प्रीति गांगुली के साथ होता है, पर देवेन वर्मा की मां पीलू वाडिया इस शादी के खिलाफ है, और प्रीती गांगुली पीलू वाडिया साथ नहीं, अपनी माँ पर्ल पदमसी के घर में रहना चाहती है.

फिल्म के हलके फुल्के गीत गुलज़ार ने लिखे हैं और मधुर संगीत राजेश रोशन का है.

निर्माता – गुल आनंद और रोमू सिप्पी ने निर्देशक बासु चटर्जी की काबिलियत पर पूर्ण भरोसा किया है. फिल्म के हर सीन में दर्शकों को हृषिकेश मुख़र्जी की याद आती है

अशोक कुमार और पर्ल पदमसी एक बार शादी के लड्डू का स्वाद ले चुके हैं, जीवन की संध्या में सही जीवन साथी मिलना बोनस जैसा है.

गीत –

1.”थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है” –

गायक कलाकार – किशोर कुमार और लता मंगेशकर

2 “तुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थे”

गायक कलाकारकिशोर कुमार और लता मंगेशकर   

3 “ये जीना है अंगूर का दाना, कथा मीठा”

गायक कलाकार – किशोर कुमार और उषा मंगेशकर

4 “मम्मी ओ मम्मी, तू कब सास बनेगी”

गायक कलाकारकिशोर कुमार

5 “रोल रोल”

गायक कलाकार -किशोर कुमार और अमित कुमार

6 “फ्रेनी ओ फ्रेनी”

गायक कलाकारअमित कुमार और शैलेंद्र सिंह

आशा है पाठकों को सालों पहले देखि हुई ये फिल्म पसंद आयी होगी

(Image: Google Images)

Geeta Chadda: