ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं
“ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं“
(ये गीत ठुमरी राग पर आधारित है).
गीत – ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं-
फिल्म – जीवन मृत्यु (प्रदर्शित 1970)
गीतकार – आनंद बक्षी
संगीतकार – लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गायक कलाकार– लता मंगेशकर
कलाकार – ज़ेब रेहमान, धर्मेंद्र, अजीत, कन्हैयालाल,
रमेश देव, कृष्ण धवन, राजेंद्र नाथ
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं,
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं,
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं,
वहां ले जाते हैं कश्ती, वहां ले जाते हैं कश्ती,
वहां ले जाते हैं कश्ती, जहाँ तूफ़ान होते हैं,
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं,
शमा की बज़्म में आकर,
ये परवाने समझते हैं, ये परवाने समझते हैं,
यहीं पर उम्र गुज़रेगी, ये दीवाने समझते हैं,
मगर इक रात के हाँ हाँ, मगर इक रात के,
ये तो फकत मेहमान होते हैं,
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं,
मोहब्बत सबकी महफ़िल में,
शमा बनकर नहीं जलती, शमा बनकर नहीं जलती,
हसीनो की नज़र सब पे छुरी बनकर नहीं चलती,
हसीनो की नज़र सब पे छुरी बनकर नहीं चलती,
जो हैं तक़दीर वाले हाँ, जो हैं तक़दीर वाले,
बस वही कुर्बान होते हैं,
जो हैं तक़दीर वाले, बस वही कुर्बान होते हैं,
वहां ले जाते हैं कश्ती, जहाँ तूफ़ान होते हैं,
ज़माने,
दूर साहिल से, नज़ारा देखने वाले,
डुबोकर नज़ारा देखने वाले,
लगा कर आग चुप के से, तमाशा देखने वाले,
तमाशा आप बनते हैं, तमाशा आप बनते हैं,
तो क्यों हैरान होते हैं,
तमाशा आप बनते हैं, तो क्यों हैरान होते हैं,
वहां ले जाते हैं कश्ती, जहाँ तूफ़ान होते हैं,
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं
वहां ले जाते हैं कश्ती, जहाँ तूफ़ान होते हैं,
(Image: Google Images)
(Video courtesy YouTube)